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कुंडलियाँ छंद-5



बेटी घर का नूर है, ये धरती आकाश
जिस घर पैदा हो सुता, वहाँ देव का वास।।
वहाँ देव का वास, उसी घर उन्नति होती
सुख, वैभव, उल्लास, वहीं खुशियाँ हैं सजती।।
कहत ‘सनम’ कर-जोड़, बराबर बेटा-बेटी
आँगन होगा जश्न, खिली जो हर घर बेटी



----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---

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11 Comments

सभी लोगों को बहुत बहुत धन्यवाद

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Saba Rahman

16-Jul-2022 11:06 PM

Osm

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Reyaan

16-Jul-2022 11:01 PM

शानदार

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